Saturday, 22 July 2017

Lovely Forty


Easy to go for the wish you do,
It's 40 and you know that too!!

Long are the days and no one to prove,
It's 40 and you know that too!!

Only a handful of friends now stick to you,
It's 40 and you know that too!!

Life is short and you clearly see that too
It's 40 and you know that too!!

Nothing is important than the time, you invest to,
It's 40 and you know that too!!

Love the way you are, and let other change, perception too,
It's 40 and you know that too!!

.......Yashpal 22/07/17

Monday, 17 July 2017

वक़्त


जिंदगी को समझने कि कोशिश मे, उसे ही सताने लगे हैं,
मेरे कुछ दोस्त अब, बूढ़ाने लगें हैं!

जिनकी क़ुर्बत (closeness) से डरा करते थे तूफानों के मंजर,
वही नाव किनारे लगाने लगे हैं,
मेरे कुछ दोस्त, अब बूढ़ाने लगें हैं!

हर बेवजह बातों पे जो महफ़िलें सजाते थे,
वही आज ख़ामोशी से, घर जाने लगे हैं,
मेरे कुछ दोस्त, अब बूढ़ाने लगें हैं!

कभी जिसे मुठी में लियेे चला करते थे,
आज वही वक़्त से मार खाने लगे हैं
मेरे कुछ दोस्त अब बूढ़ाने लगें हैं!

उनके दिलों कि धड़कने, चुरा लिया करते थे कभी
वो आज खुद से ही नजरें चुराने लगे हैं
मेरे कुछ दोस्त अब बूढ़ाने लगें हैं!

यशपाल १७/०७/१७

Sunday, 16 July 2017

सफ़र


पानी  की एक लहर थी बस,....... यूं ही चल पड़ी थी !
हिम शिखरों से होते हुए,घनी कंदराओं से गुजरते हुए,..... चल पड़ी थी !!

ना मंजिल थी ना ही कारवां था, और ना ही कुछ, होने का गुमान था!
डरना सीखा ना था मरना पता ना था, जीने का एक सुरूर था बस,.... उसी से चल पड़ी थी !!

रास्ते बढ़ते गए, कारवाँ गुजरते गए, नए विचार नए एहसास फिर वो भी मिलते गए !
कुछ यूं हुआ की मैं, मैं ना रही, इक दरिया बन गयी!!

दरिया से अलग अब जी ना पाऊँगी, मुश्किल है, उसके साथ चल भी न पाऊँगी !
और दरिया को बदलने की जद्दोजहद में अपने अस्तित्व को मिटा भी न पाऊँगी !!

क्यों न कुछ ऐसा करूँ, दरिया में बहते हुए एक मूक दर्शक बनूँ!
अठखेलियाँ खेलती हुई चुपचाप से सागर में जा मिलूं!!

कौन जाने,,,,, फिर एक वाष्प बनके उड जाऊं!
और जा मिलूँ उस सीपी से, फिर आग़ोष में खो जाऊँ !!

यशपाल ०२/ ० ८ /१ ४







Now or Never

ज़ुस्तज़ू जिसकी हो, शिददत से कर गुजर!
कुर्बत से रुह भी निकलेगी तो बड़े इत्मिनान से!!

यशपाल १८/०१/१७