Thursday, 28 December 2017

My dense black hairs are loosing ground,
Plenty of it shinning like a silver crown,
Grace to see this time in life,
A luck all I need to remain in sight;

The day looks near when I leave the plight,
Time will tell then the course of flight,
A harsh sunshine in the summers to come,
Or a snowy touch in the winter months;

Some of you will touch my noble soul,
Like a deep imprint on a rocky shore
It's all I carry, when I fly next
Leaving the sum in some safety chest;

Remind me oh God please plenty of time,
Starting with the first rays of morning shine,
whole day then goes like a silent stream,
Each drop soaked in some noble theme;

Yashpal 28/12/17

Sunday, 27 August 2017

कौन सही, कौन ग़लत


सन 1959, 19 साल कि उम्र औऱ हसनपुर (पलवल, हरियाणा) में अध्यापक कि पहली नौकरी।

रविवार, आज स्कूल की छुट्टी थी, इसलिए समय भी बहुत था। सोचा, चलो आज वर्ज़िश के बाद मन्दिर के पास वाले कुएँ पे नहाया जाए। गरमी के दिन, नीम के घने पेडों की हवाएं और उसके उपर कुएँ का ठंडा पानी, ऐसा लगा की किसी ने स्वर्ग देखा होगा तो शायद ऐसे ही सुख का अनुभव किया होगा।

घर के हालात, नई नौकरी और अविचल सुख के ख्यालों में कदम बढ़ाये ही थे, कि देखा एक बाबाजी मंदिर के प्राँगण में समाधि लगाए बैठे हैं। घंटा, 2 घंटा बड़े धयान से उस समाधिसिथत इंसान को देखता रहा।

बाबाजी ने जब आंख खोली तो मेरा परिचय लिया और मैने भी आग्राह किया कि अपना चेला बना लें। बाबाजी ने सब जानकारी ली - घर, परिवार, नौकरी, माली हालात, और एक ऐसी बात समझाई जो 58 साल बाद भी एकदम सही बैठती है।

"देखो बेटा, इस तरफ बहुत से लोग किसी न किसी निराशा की वजह से कदम बढ़ाते हैं, मगर यहाँ कोई विरला ही सच्चा मिलता है। तुम निर्भय, निरबैर और बिना किसी लालच के अपने कर्म करते रहो - स्कूल और घर बस यही तुम्हारी कर्मस्थली हैं,  इन सबसे जब थोड़ा समय मिले तो प्रभु का सिमरन अकेले बैठ, खुद ही कर लेना"।

"Such a simple & profound advice - only a man of pure heart can give this"

यशपाल 27/08/17, after a brief with Papa, over panchkula incidents...

Saturday, 22 July 2017

Lovely Forty


Easy to go for the wish you do,
It's 40 and you know that too!!

Long are the days and no one to prove,
It's 40 and you know that too!!

Only a handful of friends now stick to you,
It's 40 and you know that too!!

Life is short and you clearly see that too
It's 40 and you know that too!!

Nothing is important than the time, you invest to,
It's 40 and you know that too!!

Love the way you are, and let other change, perception too,
It's 40 and you know that too!!

.......Yashpal 22/07/17

Monday, 17 July 2017

वक़्त


जिंदगी को समझने कि कोशिश मे, उसे ही सताने लगे हैं,
मेरे कुछ दोस्त अब, बूढ़ाने लगें हैं!

जिनकी क़ुर्बत (closeness) से डरा करते थे तूफानों के मंजर,
वही नाव किनारे लगाने लगे हैं,
मेरे कुछ दोस्त, अब बूढ़ाने लगें हैं!

हर बेवजह बातों पे जो महफ़िलें सजाते थे,
वही आज ख़ामोशी से, घर जाने लगे हैं,
मेरे कुछ दोस्त, अब बूढ़ाने लगें हैं!

कभी जिसे मुठी में लियेे चला करते थे,
आज वही वक़्त से मार खाने लगे हैं
मेरे कुछ दोस्त अब बूढ़ाने लगें हैं!

उनके दिलों कि धड़कने, चुरा लिया करते थे कभी
वो आज खुद से ही नजरें चुराने लगे हैं
मेरे कुछ दोस्त अब बूढ़ाने लगें हैं!

यशपाल १७/०७/१७

Sunday, 16 July 2017

सफ़र


पानी  की एक लहर थी बस,....... यूं ही चल पड़ी थी !
हिम शिखरों से होते हुए,घनी कंदराओं से गुजरते हुए,..... चल पड़ी थी !!

ना मंजिल थी ना ही कारवां था, और ना ही कुछ, होने का गुमान था!
डरना सीखा ना था मरना पता ना था, जीने का एक सुरूर था बस,.... उसी से चल पड़ी थी !!

रास्ते बढ़ते गए, कारवाँ गुजरते गए, नए विचार नए एहसास फिर वो भी मिलते गए !
कुछ यूं हुआ की मैं, मैं ना रही, इक दरिया बन गयी!!

दरिया से अलग अब जी ना पाऊँगी, मुश्किल है, उसके साथ चल भी न पाऊँगी !
और दरिया को बदलने की जद्दोजहद में अपने अस्तित्व को मिटा भी न पाऊँगी !!

क्यों न कुछ ऐसा करूँ, दरिया में बहते हुए एक मूक दर्शक बनूँ!
अठखेलियाँ खेलती हुई चुपचाप से सागर में जा मिलूं!!

कौन जाने,,,,, फिर एक वाष्प बनके उड जाऊं!
और जा मिलूँ उस सीपी से, फिर आग़ोष में खो जाऊँ !!

यशपाल ०२/ ० ८ /१ ४







Now or Never

ज़ुस्तज़ू जिसकी हो, शिददत से कर गुजर!
कुर्बत से रुह भी निकलेगी तो बड़े इत्मिनान से!!

यशपाल १८/०१/१७